बाप ने जोड़े थे
कई ईंटे
और बनाया था एक मकान
ये उसके ख्वाबों का घर था
जहाँ थे उसके बच्चे
जो उसकी आँखों के सामने
घर के आँगन में खेलते
धीरे धीरे हो रहे थे जवान
बाप मर चूका है
और बच्चे हो चुके है जवान
बाप के ख्वाबों का घर
अब उसके जवान बच्चे
कर रहे हैं नीलाम
क्यूंकि उनकी बीवियों को
यह घर लगता है छोटा
माँ खामोश है
और देख रही है
अपने पति के ख्वाबों का बलात्कार
यह जानते हुए भी
कि उस बड़े मकान में
मिलेगा उसे सिर्फ एक कोना
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11 comments:
शहनवाज, कुछ दिनों से मै भी उधेड़बुन में था कि पिता के अरमानों की व्याख्या बेटे कैसे करते हैं। हम सब जो बेटे हैं, वे क्या कर रहे हैं। मैं खुद इन बातों में खो जाता हूं। खासकर पिता शब्द के करोड़ों चरित्रों को डिस्क्राइब करते हुए।
यह कविता उसी श्रृखंला का हिस्सा मालूम होती है। लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हर एक के अंदर एक पिता जीवित होता है जो छटपटाता भी रहता है।
आपने मां को भी जोड़ा, जो बेहद जरूरी (कंटेट) है। सच कहूं शहनवाज ऐसी कविताओं को पढ़ते वक्त कभी-कभी आत्मग्लानी भी होती है, जैसा आपने कहा-
माँ खामोश है
और देख रही है
अपने पति के ख्वाबों का बलात्कार।
मै चुप हूं, इसे पढ़ने के बाद। पिता को असमानताओं के बीच समानता की तलाश करते देख रहा हूं।
शुक्रिया
पुन्श्च- अपने अंदर पिता को खोजें।और हां,अब जब कविता के जरिए बातों क पेश कर ही रहें हैं तो कविताओं में आवारागर्दी और कुछ तथाकथित गालियों को डालकर एक चासनी भी बनाने की कोशिश करें क्योंकि एक्सप्रेसन के इस माध्यम के साथ ईमानदारी बरतनी बेहद जरूरी है, आखिर हम सब के अंदर तो कमीनी चीज तो है हीं।
tum me kavita likhne ka shaur hoga mujhe nahi pata tha. mai itna janti thi ki tum bas shyari ki kar sakte, wo bhi chori ki. achha hai lage raho...
यही दुनिया का दस्तूर है
बेहतरीन अभिव्यक्ति.
स्वागत है.
गुलमोहर का फूल
आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं स्वागत है चिटठा जगत में.
आपने हिंदी में अच्छा लिखा पर यह चिंदी का प्रसाद क्यों?:) स्वागत है॥
Bahut Barhia...Isi Tarah likhte rahiye...
http://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap... Maithili Me
http://mastgaane.blogspot.com
Manpasand Gaane
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo
आप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
लिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी
BEHTARIN RACHNA
AATI SUNDER
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
कि उस बड़े मकान में
मिलेगा उसे सिर्फ एक कोना
जी हाँ! यही सच है. माँ को एक कोना भी मिल जाये तो -----
सच तो सच है
बहुत खूब आपने उस मानसिकता को उकेरा है.
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