सितम के बहुत से हैं रद्दे अमल..................
बहुत खूब शाहनवाज भाई...बहुत अच्छा लिखा है..उम्मीद है लगातार लिखते रहिएगा.
ठीक किया शाहनवाज, आपने नज्म का टाइटल सेकुलर प्याली नहीं रखा। चाय की प्याली को इस अर्थ में मैंने महसूस नहीं किया था। आबनूसी और लम्स को समझने के बाद ही नज्म की गहराई में गोता लगा सका।
Bahut sundar bhaav.वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
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बहुत खूब शाहनवाज भाई...बहुत अच्छा लिखा है..उम्मीद है लगातार लिखते रहिएगा.
ठीक किया शाहनवाज, आपने नज्म का टाइटल सेकुलर प्याली नहीं रखा। चाय की प्याली को इस अर्थ में मैंने महसूस नहीं किया था। आबनूसी और लम्स को समझने के बाद ही नज्म की गहराई में गोता लगा सका।
Bahut sundar bhaav.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को उन्नति पथ पर ले जाएं।
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